ग्वालिन क्यों तू मटकी तू कैसे पे मटकी
Gwalan Kyo Tu Matki Tu Kaise Pe Matki Krishna Bhajan
ग्वालिन क्यों तू मटकी तू कैसे पे मटकी,
कहा तू जा रही मटकी मटकी धर मट कांपे मटकी,
तू तो भई मधु मस्त गुजरियाँ चाल चले मस्तानी,
कह दू कोई रोग लगो है कह तू बई बोरानी,
पहले घर तू मटकी फिर बाहर तू मटकी
ग्वालिन क्यों तू मटकी तू कैसे पे मटकी,
रोज रोज मेरे मार्ग पे चुप नि कस के जावे,
तनक न रही चोखावे मोह को ऐसे ही बहकावे,
उलटी कर दे मटकी वही पे दर दे मटकी,
ग्वालिन क्यों तू मटकी तू कैसे पे मटकी,
आज अकेली मिल गई तेरा ददगोरास लुटवाऊ,
अफडा तफडी करे तो सबरे ग्वालन को भुलवाऊ,
नहीं न छोड़ू मटकी तेरी फोड़ू मटकी,
ग्वालिन क्यों तू मटकी तू कैसे पे मटकी,
कभू भूल के यह मार्ग पे आइयो मति अकेली,
पागल कहे वनवारे ते नाये ब्रिज रस गुर की देरी,
तेरी पटकी मटकी तेरी चटकी मटकी,
ग्वालिन क्यों तू मटकी तू कैसे पे मटकी,
Gwalan Kyo Tu Matki Tu Kaise Pe Matki Krishna Bhajan
Barsane Ki Goojari
Mohe Roj Kare Hairan
Fanda Mein Tu Aa Fasi
Mohe De Goras Ko Daan
Ae Gwalan Kyo Tu Matki
Tu Kaise Pe Matki
Kaha Tu Jaave Matki Matki
Dhar Matka Pe Matki
Gwalan Kyo Tu Matki
Tu Kaise Pe Matki
Kaha Tu Jaave Matki Matki
Dhar Matka Pe Matki
Tu To Hai Madmast Gujariya
Tu Chaal Chale Mastani
Kaiso Koi Rog Lagyo Hai
Kaiso Bhayi Gorano Gwalin
Pahle Dhar Tu Matki
Fir Bahar Tu Matki
Kaha Tu Jaave Matki Matki
Dhar Matka Pe Matki
Gwalan Kyo Tu Matki
Tu Kaise Pe Matki
Kaha Tu Jaave Matki Matki
Dhar Matka Pe Matki