क्यू खड़ी खड़ी तू हालै रे गौरा चाल कसुती चालै

क्यू खड़ी खड़ी तू हालै रे
गौरा चाल कसुती चालै।।

आज कर के चोटी ढीली भोले
भंग मन्ने भी पि ली
भंग मन्ने भी पि ली
आज भंग मन्ने भी पि ली
क्यू खड़ी खड़ी तू हालै रे गौरा।।

इसा रिस्क लिया ना करते
रै गौरा भंग पिया ना करते
यूं भांग पिया ना करते


मन्नै ठा कुण्डी सोटा
मै पीउंगी भरकर लोटा
आज कर के चोटी ढीली भोले
भंग मन्ने भी पि ली
हे रै चाल कसुती चालै
आज तू खड़ी खड़ी क्यों हाले।।

क्यू खड़ी खड़ी तू हालै रे
गौरा चाल कसुती चालै।।

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