फिर क्यों भूला हरी का नाम जब वचन दिया है तूने

फिर क्यों भूला हरी का नाम जब वचन दिया है तूने
फिर क्यों भूला हरी का नाम जब वचन दिया है तूने।।

जब गर्भ में तुझे लटकाया तूने बार बार फ़रमाया
मैं तुझे भूलू न मेरे राम जब वचन दिया है तूने
फिर क्यों भूला हरी का नाम जब वचन दिया है तूने।।

उस नरक से तुझे छुड़ाया और दे दी सुन्दर काया
तू रहे गोद में सुबह शाम जब वचन दिया है तूने।।

फिर क्यों भूला हरी का नाम जब वचन दिया है तूने
फिर क्यों भूला हरी का नाम जब वचन दिया है तूने।।

पढ़ लिख तुझे आयी जवानी तूने बात किसी की मानी
अब तुझे पकड़ रहा है काम जब वचन दिया है तूने
फिर क्यों भूला हरी का नाम जब वचन दिया है तूने।।

जब निश्चित जग से जाए फिर दिल क्यों किसी का दुखाये
भरद्वाज क्या मुँह ले जाए उसके धाम जब वचन दिया है तूने
फिर क्यों भूला हरी का नाम जब वचन दिया है तूने।।

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