
गुणगान सुबह शाम करूँ मैं ध्यान धरूँ तेरा,
तू मेरा है मैं तेरा हूँ और कुछ भी नहीं मेरा,
किमस्त संवर गई मेरी तूने ऐसी नज़र डाली,
कैसे मैं शुक्र करूँ मेरे भोले भंडारी।।
महादेव महादेव महादेव महादेव
और मांगू नहीं कुछ भी बस मांगू तेरी भक्ति,
चरणों से लगाकर रखना बस करूँ यही विनती,
मुझे अपना बना लो ऐसे चरणों का फूल हूँ जैसे,
सदा साथ तुम्हारे रखना नंदी रहते है जैसे,
भक्ति में उम्र गुजारूंगा जैसे नंदी ने गुजारी,
कैसे मैं शुक्र करूं मेरे भोले भंडारी
महादेव महादेव महादेव महादेव ।।
मेरी आँखों ने देखे बाबा जो भी सपने,
मेरे सोचने से पहले ही वो तुमने पुरे किये,
पाया ना खुद को अकेला संग मेरे भक्तो का मेला,
हर कष्ट मिटा देता है बाबा महाकाल शिव भोला,
कुछ और कहा नहीं जाए जाऊं तुझपे मैं बलिहारी,
कैसे मैं शुक्र करूं मेरे भोले भंडारी
महादेव महादेव महादेव महादेव ।।
गुणगान सुबह शाम करूँ मैं ध्यान धरूँ तेरा,
तू मेरा है मैं तेरा हूँ और कुछ भी नहीं मेरा,
किमस्त संवर गई मेरी तूने ऐसी नज़र डाली,
कैसे मैं शुक्र करूँ मेरे भोले भंडारी
महादेव महादेव महादेव महादेव ।।
सिंगर – किशन भगत जी।