
इस मन की भटकी हुए नाव को आज किनारा मिल गया
राम मेरे मुझ पापी को भी तेरा सहारा मिल गया
इस मन की भटकी हुए नाव को आज किनारा मिल गया।।
उलझा हुआ था मैं माया के जंगल में तुमने बचाया मुझे
तुमने बचाया मुझे औकात ना थी मेरी नाथ तुमने
अपना बनाया मुझे अपना बनाया मुझे
तेरी कृपा से गंगा के जल में पानी ये खरा मिल गया
इस मन की भटकी हुए नाव को आज किनारा मिल गया।।
केहनो को तो चल रही थी ये साँसे बेजान थी आत्मा
जन्मो की श्रापो का हाँ मेरे पापो का तुमने किया खत्म
तुमने छुआ तो तुम्हारा हुआ तो जीवन दुबारा मिल गया
इस मन की भटकी हुए नाव को आज किनारा मिल गया।।