
कई दिन पाछे खुल्यो थारो दरबार
जी भर कर देखा थाणे म्हे तो बाबा श्याम
चलो रे भाया श्याम धणी के द्वार
जठे मिलेगो हारे को साथी बाबा श्याम
फेरु लागे लम्बी लम्बी कतार
तने भजन सुणावे सगळा मिलकर के बाबा श्याम
सांवरिया भी है मिलने को बेकरार
बैठ्यो बाट निहारे अपने टाबर का बाबा श्याम
निखिल संग सबकी अर्ज़ी करी स्वीकार
मिलने को बुलायो सगळा ने म्हारो बाबा श्याम
कई दिन पाछे खुल्यो थारो दरबार …………।