
कोई बोले कृष्ण मुरारी, कोई बोले मदन गोपाला
हर इक रूप में प्यारा लागे, हमको मुरली वाला
जय गोविंदा …… जय गोपाला।।
दूध दही माखन नहीं छोड़े,
जिस घर जाए मटकी फोड़े
केशव माधव मधुसूदन है
माखन का मतवाला
जय गोविंदा …… जय गोपाला……
कोई बोले कृष्ण मुरारी, कोई बोले मदन गोपाला।।
गोपो के संग पनघट जाए,
जा सखियों के चीज उठाये
गोरी राधा को ये नित छेड़े
ये काले रंग वाला।
जय गोविंदा …… जय गोपाला……
कोई बोले कृष्ण मुरारी, कोई बोले मदन गोपाला।।
बाल अवस्था पूतना मारी,
मारो कंस नगरिया सारी
कभी चराये गईया वन में,
कहलाये है ग्वाला।
जय गोविंदा …… जय गोपाला……
कोई बोले कृष्ण मुरारी, कोई बोले मदन गोपाला।।
होने न दे धर्म की हानि,
रक्षक बन जाए खुद आणि
चक्र सुदर्शनधारी,
सारे जग का है रखवाला।
जय गोविंदा …… जय गोपाला……
कोई बोले कृष्ण मुरारी, कोई बोले मदन गोपाला
हर इक रूप में प्यारा लागे, हमको मुरली वाला
जय गोविंदा …… जय गोपाला…..।।