
मेरे श्याम मेरे श्याम मेरे श्याम मेरे मेरे श्याम,
ऐसे गुजरती है मेरी सुबह शाम,
मेरी निगाहें ढूंढे तेरी पनाहों को,
फेरूँ मैं मोती मन के,
मेरे श्याम, मेरे श्याम मेरे श्याम
ऐसे गुजरती है मेरी सुबह शाम।।
बैठ अकेली पिया हथेली पे तेरी रस्ता देख रही हूँ,
दर दर जाऊं मैं किसको मनाऊं मैं,
हर चौखट सर टेक रहूं मैं,
मेरी अरज सुन मेरे श्याम,
मेरे श्याम, मेरे श्याम मेरे श्याम मेरे मेरे श्याम,
ऐसे गुजरती है मेरी सुबह शाम।।
काजल लगाऊँ या बिंदिया लगाऊँ,
या सोलह श्रृंगार करूँ,
एक नजर तू देख ले मुझको,
कितना मैं इन्तजार करूँ,
मेरी अरज सुन मेरे श्याम,
मेरे श्याम मेरे श्याम मेरे श्याम मेरे मेरे श्याम,
ऐसे गुजरती है मेरी सुबह शाम।।