
आल्हा महाकाल जी की – सावन सोमवार स्पेशल भजन
प्रथम गजना का गुण गान,
दूजा शारदा माँ का ध्यान,
माँ हर सिद्धि देना ज्ञान ।।
माँ से प्राथना प्यार दीजिये
कथा काहू स्वीकार कीजिये,
कथा में भैरव पहरा देना,
हनुमत जी संकट हर लेना।।
गुरुदेव मेरी लाज रखना,
कल भी रखना आज भी रखना,
महाकाल की कथा सुनाऊ शिव चरणों में ध्यान लागू,
प्रगट हुए कैसे माहाकाल आओ भक्तो तुम्हे सुनाऊ,
थे उज्जैन में ब्राह्मण एक शिव के भक्त वो सच्चे नेक,
उन ब्राह्मण के पुत्र थे चार,
वो भी थे शिव भक्त आपार,
वो भी थे शिव भक्त आपार।।
वो भी थे शिव भक्त आपार,
माने शिव को पालन हार,
शिव में ही उनका संसार,
सुबह उठे तो नाम को शिव का,
शाम ढले तो प्राणम शिव को,
मन को शिवालये है कर डाला,
मन को बनाया धाम शिव का,
शिव के नाम की भसम लगते,
शिव को एक पल ना बिसराते,
पिता और बेटे शिव जी की,
धुन में दीवाने होते जाते,
उस युग में दानव भरी दुष्ट बड़ा था अत्याचारी,
रक्षा कुल का भूषण था और नाम उसका था दूषण था,
रत्न मॉल पर्वत पर था उसका वास शक्ति उसके पास थी,
फिर भी अपनी शक्ति का वो बढ़ने का वो करे प्रयास।।