
ओ हारे के सहारे देना मुझे सहारा
कोई नहीं हमारा
ओ हारे के सहारे…………….
हारे का सहारा बाबा श्याम
हारे का सहारा मेरा श्याम
मेरे हाल पे नहीं क्यों तुम तो तरस हो खाते
निष्ठुर बने हुए हो मोहन नहीं क्यों आते
पिघलेगा कब ना जाने कोमल ह्रदय तुम्हारा
ओ हारे के सहारे…………….
हारे का सहारा बाबा श्याम
हारे का सहारा मेरा श्याम
मझधार में है नैया इसको ज़रा सम्भालो
विश्वास ये ना डोले आकर मुझे बचा लो
एक आस है तुम्ही से डोज तुम्ही किनारा
ओ हारे के सहारे…………….
हारे का सहारा बाबा श्याम
हारे का सहारा मेरा श्याम
मुझपे कृपा की होंगी कब ये तेरी निगाहें
अब तो गले लगा लो फैला के अपनी बाहें
अब वेद का नहीं है तुम बिन कहीं गुज़ारा
ओ हारे के सहारे…………….
हारे का सहारा बाबा श्याम
हारे का सहारा मेरा श्याम