
हे श्याम धणी सरकार मेरे इतनी कृपा भी कीजिये
मैं चरण तिहारे आन पड़ा मुझको शरण में लीजिये
मेरी औकात क्या मेरी औकात क्या
मैं तेरी रेहमत का………….
तेरी रेहमत का बाबा तलबगार हूँ
मेरी औकात क्या ……………..
लगी ठोकर तो बाबा संभल ना सका
इस माया की दल से निकल ना सका
कैसे आऊं मैं बाबा लाचार हूँ
मेरी औकात क्या …………….
मेरे श्याम ……….
सुना तेरे दरबार से कोई खाली नहीं जाता
झोलियाँ सबकी भर जाती हैं पर देने वाला नज़र नहीं आता
तू देता रहा मैं ही पा ना सका तू बुलाता रहा मैं ही आ ना सका
अपनी नज़रों में खुद ही शर्मसार हूँ
मेरी औकात क्या ………………
मेरी नज़रों को केवल तेरी आस है
कल तेरी आस थी आज भी आस है
क्या करून मैं तो खुद ही खतावार हूँ
मेरी औकात क्या ………………..
ऐ मेरे लखदातार सुनलो मेरी पुकार
हारे के सहारे तेरे आया मैं द्वार
नादाँ सेवक तेरा इसकी सरकार तू
मेरी औकात क्या ……………….