कितना सोहणा दरबार है सजाया

कितना सोहणा दरबार है सजाया,
जी करे देखता रहा, जी करे देखता रहा,
कितना सोहणा दरबार हैं सजाया।।

फूल गुलाब की कलिया सजा के,
केसर चन्दन तिलक लगा के,
बड़े प्यार से इतर लगाया,
जी करे देखता रहा, जी करे देखता रहा,
कितना सोहणा दरबार हैं सजाया।।

सोहनी सूरत मोहनी मूरत,
दिल में समा गई सावली सूरत,
तेरे भजनों में बड़ा सुख पाया,
जी करे देखता रहा, जी करे देखता रहा,
कितना सोहणा दरबार हैं सजाया।।

खाटू वाले श्याम धणी जी,
‘व्यास हरि’ की अरज सुनो जी,
तेरे चरणों में अब हो ठिकाना,
जी करे देखता रहा, जी करे देखता रहा,
कितना सोहणा दरबार हैं सजाया।।

कितना सोहणा दरबार है सजाया जी करे देखता रहा,
कितना सोहणा दरबार हैं सजाया जी करे देखता रहा।।

हाथ जोड़ विनती करूँ, सुणियो चित्त लगाय,
दास आ गयो शरण में, रखियो इसकी लाज।।

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