मोहे कान्हा की याद सतावे झराझर रोए रही मेरी अखियां

Hindi Ke Bhajan

मोहे कान्हा की याद सतावे झराझर रोए रही मेरी अखियां
मोहे कान्हा की याद सतावे झराझर रोए रही मेरी अखियां।।

चिट्ठियां लिखी नहीं जाती कागज बिना
मैंने दिल को कागज बनाया झराझर रोम रही मेरी अखियां।।

चिट्ठियां लिखी नहीं जाती स्याही बिना
असुयन की स्याही बनाई झराझरा रोए रही मेरी अखियां

चिट्ठियां लिखी नहीं जाती कलम बिना
मैंने उंगली की कलम बनाई जरा जरा रोए रही मेरी अखियां।।

चिट्ठियां भेजी नहीं जाती डाक बिना
सांसो की डाक बनाई झराझर रोए रही मेरी अखियां।।

चिट्ठियां पढ़ी नहीं जाती ज्ञान बिना
मैंने मधुवन की सूरत लगाई झराझर रोए रही मेरी अखियां।।

मैंने सूरत लगाई वृंदावन की मेरी बहना
जाय कान्हा से चिट्ठियां पढ़ाई झराझर रोए रही मेरी अखियां।।

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