
सांवरिया सांवरिया सांवरिया सांवरिया,
छोटी सी थांकी आंगली जी सांवरा,
छोटी सी थांकी चटनी आंगली जी सांवरा,
कइया डोंगर ने उठालो जी हो संवारा,
कइया पर्वत ने उठालो जी हो संवारा,
गोवर्धन पर्वत नख धार कर जी,
कइया इन्दर ने लजाओ जी ओ संवारा
कइया इन्दर ने लजाओ जी ओ संवारा।।
ओ अजब निराली ताकि माया कोई समझने जाए ,
अनहोनी ने होनी करदे पर्वत नो राइ बनाये,
हो काई करने याद दोहराये ,
जब जब पाप जगत में छाये,
तब तब यू अवतार कनाये ,
लोहे को मजबूत खम्बो फाड़ कर जी सांवरा,
लोहे को मजबूत खम्बो फाड़ कर जी कइया,
नर सिंह रूप बनाया जी ओ संवारा,
कइया नर सिंह रूप बनाया जी ओ संवारा।।
ताकि सोगन ताकि माया जादू से भी ऊपर,
ताकि सोगन ताकि माया जादू से भी ऊपर,
निज भक्ता के खातिर आओ गौ लोग से भू पर,
दिन कौरव दुराचारी मन में खोट नीति विचारी,
पकड़ कर लाया द्रोपदी नारी,
वी में को देखे चारो घडी,
जब थे खड़े थे बनवारी ,
पी की जाए बड़ा दी साडी,
या कई जादू मंतर याद थे जी,
डूंगर कपडा को बनाया जी ओ संवारा,
डूंगर कपडा को बनाया जी ओ संवारा।।
नरसिंघ जी को भात बढ़ो मीरा को जहर पाचयो,
कर्मा के घर जाके सांवरिया बासुकी चढ़ायो,
तने धन्नो भगत बुलावे ताने सेन नाई बुलावे,
ओ जी बलदाऊ के भैया,
जल में डूबी जीवन नैया,
ई का बजाओ खिवैया,
म्हारी पार लगाओ नैया,
अर्जी पत्र थे तो डाकिया,
अर्जी पत्र थे तो वाच लो जी,
थारो नरसिंघ दस बुलायो जी ओ संवारा,
थारो नरसिंघ दस बुलायो जी ओ संवारा।।
ओ सांवरा म्हारा नटवर नगर आ,
कइया डोंगर ने उठालो जी हो संवारा,
कइया पर्वत ने उठालो जी हो संवारा,
गोवर्धन पर्वत नख धार कर जी,
कइया इन्दर ने लजाओ जी ओ संवारा,
कइया इन्दर ने लजाओ जी ओ संवारा।।