
द्रोपदी हो दुखारी पुकारी यही, श्याम तुम बिन हमारा सहारा नहीं,
लाज चली जाएगी ऐ विहारी मेरी नाथ दोगे जो हमको सहारा नहीं,
द्रोपदी हो दुखारी पुकारी यही।।
भीष्म कर्णआदि गुरु द्रोण बैठे सभी पर कोई ख्याल हमपे तो करता नहीं,
मौन पांचो पति सर झुकाये हुए कह रहे जोर चलता हमारा नहीं,
द्रोपदी हो दुखारी पुकारी यही।।
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मैं तो तेरे प्यार में पागल आन मिलो कृष्णा
सूत की कोरी सारी मुरारी कहाँ जब कटारी लगी थी तेरे हाँथ में,
आगया वक्त आकर मदत कीजिये वरना कह दो जुबां हमने हारा नहीं,
द्रोपदी हो दुखारी पुकारी यही।।
द्रोपदी की वचन सुन बचा लाज ली ऐसे ब्रजराज से बाबू दसरथ कहा,
मेरी पारी पे मोहन ना आओगे जो तो करूँगा मैं तुमको पुकारा नहीं,
द्रोपदी हो दुखारी पुकारी यही।।
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हमपे चलाए गयो टोना की गोर गोर सँवारा सलोना
मेरे कृष्णा कन्हाई ऐसे यमुना जल धारा जैसे