
आज सखी, राखी को त्यौहार
चलु वृंदावन, रसिक जनन धन,
राखिन बध बलिहार, आजु सखि,
आज सखी, राखी को त्यौहार ।।
निरखु नीलमणि नील करन कस,
मणिमय राखिन धार, आजु सखि,
आज सखी, राखी को त्यौहार ।।
और और बधावन ललचत,
निरखु दया दरबार, आजु सखि,
आज सखी, राखी को त्यौहार ।।
लाली हंसती ललन ललचन लखि,
लखि उन करन पसार, आजु सखि,
आज सखी, राखी को त्यौहार ।।
कोटि कोटि सखियन उन बांधती,
जिन वश मुक्तिहुं चार, आजु सखि,
आज सखी, राखी को त्यौहार ।।
प्रियदर्शी अलि नित्य मुक्त बलि,
बन्धन नेह निहार, आजु सखि,
आज सखी, राखी को त्यौहार ।।