
बैठे हैं आप ऐसे सुनता नहीं हो जैसे
नैया हमारी मोहन उतरेगी पार कैसे
तुझे क्या पता नहीं है मंझधार में पड़ी है
आजा मेरे कन्हैया बिन मांझी के सहारे डूबेगी मेरी नैया
आजा आजा श्याम बाबा , आजा आजा श्याम बाबा
म्हणत से हमने अपनी नैया थी एक बनाई
लेकिन भवर में मोहन कोशिश ना काम आई
हारे हैं हम तो जब भी तुफानो से लाडे हैं
आजा मेरे कन्हैया …………
पतवार खेते खेते आखिर मैं थक गया हूँ
शायद तू आता होगा कुछ देर रुक गया हूँ
बनवारी बेबसी में चुपचाप हम खड़े हैं