
सांवरिया सो संवारा लियो क्यों मोह हटाए,
थारो ही म्हणे आसरो म्हणे तुहि आन बचाये,
श्याम श्याम जय श्याम श्याम।।
आख्यां का पट खोल सांवरा क्यों तरसावे है,
भगत दुखारी रे थारी बात निहारे,
आख्यां का पट खोल सांवरा क्यों तरसावे है।।
गम का जा बदल म्हारे सर मड़रावे है,
विपदा अनोखी म्हणे पल पल डरावे है,
धीरज यो छोट्यो रे थारा भगत पुकारे,
आख्यां का पट खोल सांवरा क्यों तरसावे है।।
सूनी पड़ी है बाबा थारी फुलवारी रे,
टाबर खिलेना गूंजे हंसी किलकारी रे,
छायो अंधेरो रे दिन रात गुजारे,
आख्यां का पट खोल सांवरा क्यों तरसावे है।।
कौशिक की गलती श्याम मन में न लायो जी,
बन के दयालु देवा दया दिखलाओ जी,
विपदा ने टालो जी संकट ने टालो जी,
लीले चढ़ आओ जी हारे के सहारे,
आख्यां का पट खोल सांवरा क्यों तरसावे है।।