अजब है भोलेनाथ ये दरबार तुम्हारा

अजब है भोलेनाथ ये दरबार तुम्हारा,
दरबार तुम्हारा दरबार तुम्हारा,
भूत प्रेत नित करे चाकरी सबका यहाँ गुजारा,
अज़ब है भोलेनाथ ये दरबार तुम्हारा
दरबार तुम्हारा, दरबार तुम्हारा।।

बाघ बैल को हरदम एक जगह पर राखे,
कभी ना एक दूजे को बुरी नजर से ताके,
कहीं और नही देखा हमने ऐसा गजब नजारा,
अजब है भोलेनाथ ये दरबार तुम्हारा,
दरबार तुम्हारा, दरबार तुम्हारा।

गणपति राखे चूहा कभी सर्प नही छुआ,
भोले सर्प लटकाएं कार्तिक मोर नचाएं,
आज का कानून नहीं है तेरा अनुशाषित हैं सारे,
अज़ब है भोलेनाथ ये दरबार तुम्हारा,
दरबार तुम्हारा, दरबार तुम्हारा।।

अजब है भोलेनाथ ये दरबार तुम्हारा
दरबार तुम्हारा, दरबार तुम्हारा।
भूत प्रेत नित करे चाकरी सबका यहां गुजारा,
अज़ब है भोलेनाथ ये दरबार तुम्हारा
दरबार तुम्हारा, दरबार तुम्हारा।।

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