अमल करे सो पाई रे साधो

कहते तो बहुत मिले गहता मिला ना कोई,
कहता को गहता मिले तो सद्गुरु से मेला होइ,
जानता बुझता नाहीं और बूझ किया नहीं गौण,
अंधे को अँधा मिला तो राह बतावे कौन।।

जाका गुर भी अंधला चेला खरा निरंध
अंधा अंधा ठेलिया दून्यूँ कूप पड़त।।

अमल करे सो पाई रे साधो भाई अमल करे सो पाई,
अमल करे सो पाई रे साधो भाई अमल करे सो पाई,
जब तक अमल नशा नहीं करता,
तब तक मजा ना आई।।

आंधो हाथ लिए कर दीपक कर परकास दिखाई,
औरा के आगे करे चांदनो आप अंधेरा मांई रे साधु भाई,
अमल करे सो पाई जब तक अमल नशा नहीं करता,
तब तक मजा न आई अमल करे सो पाई।।

दूत पूत का दानी रे बनकर पाखंड पेट भराई रे साधु भाई,
अमल करे सो पाई जब तक अमल नशा नहीं करता,
तब तक मजा न आई अमल करे सो पाई।।

काजी पंडित पच पच हारा वेद पुराण के मांई
भणिया बुनिया दोनों रे भूलिया,
याने कुण समझाई साधो भाई अमल करे सो पाई
जब तक अमल नशा नहीं करता,
तब तक मजा न आई अमल करे सो पाई।।

गुरु चरणों में लिखे लिखमो सब संतन के मन भाई,
है कोई ऐसा फक्कड़ जग में,
अपना अमल जमाई रे साधू भाई,
अमल करे सो पाई
जब तक अमल नशा नहीं करता,
तब तक मजा न आई अमल करे सो पाई।।

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