अपने प्रेमी को मेरे बाबा इतना भी मजबूर ना कर

अपने प्रेमी को मेरे बाबा, इतना भी मजबूर ना कर
तेरे होते जगवालो के आगे, झुक ना जाए सर।।

चौखट पे जिस दिन से कन्हैया सिर ये आके झुका दिया
स्वाभिमान से जीना जग में, तुमने हमको सीखा दिया
जहां विश्वास के दीप जगाए, वहां निराशा क्यू करे असर।।

श्याम श्याम जो कहकर, तुमसे रात दिन ही आस करें
जग वालों को कहते फिरते, श्याम कभी ना निराश करे
फूल खिले जहां श्याम नाम से, वो गुलशन ना जाए बिखर।।

दानी होकर कैसे कन्हैया, देना सहारा भूल रहे
जिसका सब कुछ तुम हो कन्हैया, वो क्यू फिर मजबूर रहे
दीपक अर्जी तुमसे बाबा, सुध ले लो तुम अब आकर।।

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