अर्जी सुनले लखदातर

फिरा दर दर भटकता मैं नही तुमसा नज़र आया
देखकर साँवली सूरत भरे दरबार मे आया।।

अरजी सुनले लखदातार तेरा गुण गाये संसार
मेरी नैया किनारे लगादे सरकार।।

कहते दयालु तुमको दानी मतवाला
खुलता है दर पे तेरे किस्मत का ताला
रौनक रहती तेरे द्वार,होती पतझड़ में बहार
मेरी नैया लगा दे किनारे सरकार।।

हो जाये मुझ पे मालिक दया जो तुम्हारी
बन जाये बिगड़ी मेरी साँवरे मुरारी
करता तेरी जय जयकार,आओ लेकर के पतवार
मेरी नैया लगा दे किनारे सरकार।।

दाता दयालु तुझसा कहाँ और पाए
दिल के फफोले श्याम किसको दिखाए
विनती करता बारम्बार,सुनलो सावर की पुकार
मेरी नैया लगा दे किनारे सरकार।।

सिंगर – मुकेश कुमार मीनाजी

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