
अर्पण किया है श्याम को जो भी,
तुझको वापस बाँट दिया,
तेरे हर एक दीप के बदले,
तेरा संकट काट दिया।।
जितने दीप जलाए तूने उतना ही दुख दूर किया,
रोशन करके जीवन तेरा तुझको ही मशहूर किया,
छतरी बनकर सावरिया ने तुफानो को छांट दिया,
तेरे हर एक दीप के बदले तेरा संकट काट दिया।।
जितने पुष्प चढ़ाएं तूने तुझको उतना महकाया,
झोली में हर खुशियां देकर घर को तेरे चहकाया,
सेठो का है सेठ सावरा तुझको हर एक ठाट दिया,
तेरे हर एक दीप के बदले तेरा संकट काट दिया।।
जब जब भोग लगाकर तू प्रसाद को इसके पाया है,
रोग दोष से मुक्त हुआ है सुन्दर तेरी काया है,
जब जब बाह बढ़ाई राघव इसने अपना हाँथ दिया,
तेरे हर एक दीप के बदले तेरा संकट काट दिया।।
सिंगर – श्वेता अग्रवाल जी।