भजन कम शोर है ज्यादा,
कुछ तो रखो मर्यादा,
जो भी गाना है गाओ सुर में ।।
स्वर ईश्वर में ना भेद कोई है,
साम वेद जैसा नहीं वेद कोई है,
साम वेद जैसा नहीं वेद कोई है,
अच्छा न कर सको तो बुरा ना करो,
गीत संगीत को बेसुरा न करो।।
भजन कम शोर है ज्यादा,
कुछ तो रखो मर्यादा,
जो भी गाना है गाओ सुर में।।
दिल नहीं हिले तो संगीत नहीं है,
मन को जो छुए नहीं गीत नहीं है,
पहले अंग्रेज आके मैला किया है,
बचा खुचा जो था उसे छैला किया है।।
भजन कम शोर है ज्यादा,
कुछ तो रखो मर्यादा,
जो भी गाना है गाओ सुर में।।
स्वर नहीं साधे हो तो रुदन ना करो,
गीत संगीत से प्रदूषण न करो,
नाम चाहिए तो अच्छा नाम करो रे,
बच्चे कुछ ऐसा काम करो रे।।
भजन कम शोर है ज्यादा,
कुछ तो रखो मर्यादा,
जो भी गाना है गाओ सुर में।।
गाली देके नाम किया नाम कोई है,
करता है कोई बदनाम कोई है,
सीडी देके आज विष घोल रहा है,
बच्चा बच्चा ढीली जींस खोल रहा है।।
भजन कम शोर है ज्यादा,
कुछ तो रखो मर्यादा,
जो भी गाना है गाओ सुर में।।
गीत कम शोर है ज्यादा,
कुछ तो रखो मर्यादा,
जो भी गाना है गाओ सुर में।।
बच्चा है अभी उसे ज्ञान नहीं है,
क्या है संगीत पहचान नहीं है,
गाली देके लाखो में खेल रहा है,
बच्चो को बुराई में धकेल रहा है।।
भजन कम शोर है ज्यादा,
कुछ तो रखो मर्यादा,
जो भी गाना है गाओ सुर में।।
सिंगर – धीरज कांत जी।