
भारत म्हारो देश पुठरो वेश, कि धन धन भारती
बोलो जय-जयकार, उतारो आरती, ओ उतारो आरती
सोनो उगले धरती अम्बर, मोतीड़ा बरसावे रे
मुळकै सूरज चाँद गीत, कोयलड़ी मीठा गावे रे
हिमगिरि योगी राज शीश पर, ताज की गंगा वारती
समदरिया री लहरां, चरण पखारती ओ उतारो आरती
कुण भूललो राणा नै, चेतक नै हल्दीघाटी नै
वीर शिवा-सो सूर कठै, दुनिया पूजै इण माटी नै
रणचंडी रो मोड़ दुर्ग, चित्तोड़ कि मौत भी हारती
जौहर री लपटां नै, रोज निहारती ओ उतारो आरती
तिलक गोखले भगत बोस, बापू झाँसी री महाराणी
जौहर देख जवानां रो, तू बता कठै इतरो पाणी
गीता रो उपदेश, कर्म संदेश कृष्ण-सा सारथी
आज भरत री धरा विश्व ललकारती ओ उतारो आरती
केशव माधव रो संघनाद, जण-जण रो हियो गूँजावे रे
आत्मत्याग और देशप्रेम रो, सबने पाठ पढावे रे
भगवे ध्वज री आण, देश री शाण सदा सिंगारती
संगठना री शक्ति देश संवारती ओ उतारो आरती
Bharat Mharo Desh Phootro Vesh
Ki Dhan Dhan Bharati
Bolo Jay Jayakar Utaro Arati
O Utaro Arati
Sono Ugale Dharati Ambar
Motida Barasave Re
Mulakai Sooraj Chand Geet
Koyaladi Mitha Gave Re
Himagiri Yogi Raj Sheesh
Par Taj Ki Ganga Varati
Samadariya Ri Laharan
Charan Pakharati O Utaro Arati
Kun Bhoolalo Rana Nai
Chetak Nai Haldighati Nai
Vir Shiva-So Soor Kathai
Duniya Poojai In Mati Nai
Ranachandi Ro Mod Durg
Chittod Ki Maut Bhi Harati
Jauhar Ri Lapatan Nai
Roj Niharati O Utaro Arati
Tilak Gokhale Bhagat Bos
Bapoo Jhansi Ri Maharani
Jauhar Dekh Javanan Ro
Tu Bata Kathai Itaro Pani
Gita Ro Upadesh,
Karm Sandesh Krshn-Sa Sarathi
Aaj Bharat Ri Dhara Vishv Lalakarati
O Utaro Arati
Keshav Madhav Ro Sanghanad
Jan-Jan Ro Hiyo Goonjave Re
Atmatyag Aur Deshaprem Ro
Sabane Path Padhave Re
Bhagave Dhvaj Ri An
Desh Ri Shan Sada Singarati
Sangathana Ri Shakti Desh Sanvarati
O Utaro Arati
इन देश भक्ति सांग को भी देखे –
- भारत जननी सब दुख हरनी वंदे मातरम वंदे मातरम्
- हो जाओ तैयार साथियों अर्पित कर दो तन मन धन
- कोटि कोटि वंदन करते हैं भारत माँ को शीश नवाये
- मेरा तिरंगा मेरी पहचान है
- भारत की जैसी माटी है कही भी नहीं
- जय माँ भारती गाओ जय माँ भारती
- भारत की आन बान मेरी जान तिरंगा
- भारत माँ ये लाल तुम्हारे भगवा लेकर आए है
- रक्त शिराओं में राणा का रह रह आज हिलोरे लेता
- वही प्रेरणा पुंज हमारे स्वामी पूज्य विवेकानंद
- मनुष्य तू बडा महान है
- यह कल कल छल छल बेहती क्या कहती गंगा धारा
- युगों युगों से यही हमारी बनी हुई परिपाटी है
- सुखद सुमंगल मंगल कामना जीव मातृ का हो कल्याण
- अब सीमा पर जाकर मैं भी दुश्मन से टक्कर लूंगा
- देश उठेगा अपने पैरो निज गौरव के भान से
- उतारे आरती जय माँ भारती