भोले का रूप निराला से बहती जटा में गंगा
Bhole Ka Roop Nirala Se Behti Jata Me Ganga
भोले का रूप निराला से
बहती जटा में गंगा
हाथ में भंग का प्यारा से।।
भोले का रूप निराला से
बहती जटा में गंगा
हाथ में हो भंग का पियाला से
भोले का रूप निराला से।।
कैलाश पर्वत का से जोगी
अंग भभूत रामायणी से।।
नंदी की सवारी कर रहा
संग गौरजा माई से
गोदी में यो ले रहा गजानन
प्यारा लाला से
भोले का रूप निराला से।।
ओढ़े मृग की छला
भोला डमरू वाला से
गल नागा की माला से
देवा के हित खातिर पी गया
विष का प्यारा से
भोले का रूप निराला से।।
ऋषि मुनि सन्यासी योगी
सब तेरा ध्यान लगावे से
माया अप्रम पार से तेरी
पार ना कोई पाया से।।
श्याम कहे मेरा भोला भला
दीन दयाला से
भोले का रूप निराला से।।
भोले का रूप निराला से
बहती जाती में गंगा
हाथ में हो भंग का पियाला से
भोले का रूप निराला से।।
भोले का रूप निराला से
भोले का रूप निराला से।।
Bhole Ka Roop Nirala Se Behti Jata Me Ganga
Bhole Ka Roop Nirala Se
Behati Jata Mein Ganga
Hath Mein Bhang Ka Pyala Se
Bhole Ka Roop Nirala Se
Behati Jata Mein Ganga
Hath Mein Ho Bhang Ka Pyala Se
Bhole Ka Roop Nirala Se
Kailash Parvat Ka Se Jogi
Ang Bhabhoot Ramayi Se
Nandi Ki Savari Kar Raha
Sang Gaurja Mayi Se
Godi Mein Yo Le Raha Gajanan
Pyara Laala Se
Bhole Ka Roop Nirala Se
Aude Mrig Ki Chhala
Bhola Damaru Wala Se
Gal Naga Ki Mala Se
Deva Ke Hit Khatir Pee Gaya
Vish Ka Pyala Se
Bhole Ka Roop Nirala Se
Rishi Muni Sanyasi Yogi
Sab Tera Dyan Lagave Se
Maya Apram Paar Se Teri
Paar Naa koi Paya Se
Shyam Kahe Mera Bhola Bhala
Deen Dayala Se
Bhole Ka Roop Nirala Se
Bhole Ka Roop Nirala Se
Behati Jata Mein Ganga
Hath Mein Ho Bhang Ka Pyala Se
Bhole Ka Roop Nirala Se
Bhole Ka Roop Nirala Se
Bhole Ka Roop Nirala Se
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