बिन पिये नशा हो जाता है जब सूरत देखू भोले की

बिन पिये नशा हो जाता है,
जब सूरत देखू भोले की।।

बिन पिये नशा हो जाता है,
जब सूरत देखू भोले की
जब मूरत देखू भोले की।।

उसके शीश पे चंदा विराज रह्या,
चंदा की चांदनी में खो जाऊ,
जब सूरत देखू भोले की,
बिन पिये नशा हो जाता है,
जब सूरत देखू भोले की।।

उसके गले में नाग विराज रह्या,
नागा की लहर में खो जाऊ,
जब सूरत देखू भोले की,
बिन पिये नशा हो जाता है,
जब सूरत देखू भोले की।।

उसके हाथ में डमरू विराज रह्या,
डमरू की ताल में खो जाऊ,
जब सूरत देखू भोले की,
बिन पिये नशा हो जाता है,
जब सूरत देखू भोले की।।

उसके पैरो में घुंघरू विराज रहे,
घुंघरू की ताल में खो जाऊ,
जब सूरत देखू भोले की,
बिन पिये नशा हो जाता है,
जब सूरत देखू भोले की।।

बिन पिये नशा हो जाता है,
जब सूरत देखू भोले की
जब मूरत देखू भोले की।।

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