
दरबार तेरा सांवरे छूटे कभी नहीं
आता रहूं ये सिलसिला टूटे कभी नहीं।।
साँसे चले ये जब तलाक आता रहूं यहाँ
कदमो में तेरे सांवरे बसता मेरा जहान
अरमानो की ये डोरिया टूटे कभी नहीं
आता रहूं ये सिलसिला टूटे कभी नहीं।।
इस झूठी दुनियादारी की अब चाह ना मुझे
चाहे रूठ जाए जग कोई परवाह ना मुझे
पर मुझसे मेरा सांवरा रूठे कभी नहीं
आता रहूं ये सिलसिला टूटे कभी नहीं ।।
मेरे सांवरे पसंद मुझे तेरी ये बंदगी
तेरे नाम के सहारे है कुंदन ये ज़िन्दगी
ये अपनी प्रेम गागरी फूटे कभी नहीं
आता रहूं ये सिलसिला टूटे कभी नहीं।।