
मुख चंद्र मनोहर देखे बिना
अब तो सुख मोहन होता नहीं
तुम माया के वेश धरो कितने
पर खाऊंगा गोता नहीं
सच मानो वियोग में आपके मैं
दिल में जगता निज सोता नहीं
यदि चित्त चुराते नहीं तुम तो
इतना कभी भूल के रोता नहीं
इतना कभी भूल के रोता नहीं ।।
दिल खो गया दिल खो गया
बांके बिहारी श्री वृन्दावन में,
हाय मेरा दिल खो गया,
दिल खो गया दिल खो गया ।।
यहाँ यमुना किनारा है,
श्री निधिवन प्यारा है,
कण-कण में बिहारी जी,
यहाँ तेरा नजारा है,
दिल खो गया दिल खो गया,
बाँके बिहारी श्री वृन्दावन में,
हाय मेरा दिल खो गया।।
होता नित रास यहाँ,
संतो का वास यहाँ,
सदा भाव और भक्ति का,
होता अहसास यहाँ,
दिल खो गया दिल खो गया,
बाँके बिहारी श्री वृन्दावन में,
हाय मेरा दिल खो गया।
देखा जब से तुमको,
मैं हो गया दीवाना,
नहीं होश रहा कोई,
हुआ खुद से बेग़ाना,
दिल खो गया दिल खो गया,
बाँके बिहारी श्री वृन्दावन में,
हाय मेरा दिल खो गया।।
कहे चित्र विचित्र प्यारे,
कभी दिल से ना बिसराना,
पागल बस तेरा है,
हर जनम में अपनाना,
दिल खो गया दिल खो गया,
बाँके बिहारी श्री वृन्दावन में,
हाय मेरा दिल खो गया।।
बांके बिहारी श्री वृन्दावन में,
हाये मेरा दिल खो गया,
दिल खो गया दिल खो गया।।