गुरु मनवाँ के तार मोरा जोड़ दियो रे

गुरु मनवाँ के तार मोरा जोड़ दियो रे,
जोड़ दियो रे मोरा जोड़ दियो रे,
गुरु मनवाँ के तार मोरा जोड़ दियो रे।।

जो मानवा नित भटकत घूमत,
रहा फंसा मझधार मोरा जोड़ दियो रे,
गुरु मनवाँ के तार मोरा जोड़ दियो रे।।

तीन लोक की माया छूती,
अब नहीं व्यवहार जोड़ दियो रे,
गुरु मनवाँ के तार मोरा जोड़ दियो रे।।

सुख निदिया हम सोवन लागे,
सुख निदिया हम सोवन लागे,
मिटा पापन के भार जोड़ दियो रे,
गुरु मनवाँ के तार मोरा जोड़ दियो रे।।

राधा नाम जपत नित माधव,
जपत नित माधव जपत नित माधव,
मिला वेदन को सार मोरा जोड़ दियो रे,
गुरु मनवाँ के तार मोरा जोड़ दियो रे।।

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