इतना तो दो कन्हैया हक़ कम से कम
कह सके ज़माने को तुम्हारे हैं हम
इतना तो दो कन्हैया …………….
ये माना के मीरा सा ना प्रेम अटल है
न अर्जुन विदुर सा भरोसा प्रबल है
ना मित्र सुदामा के जैसे हैं करम
इतना तो दो कन्हैया …………….
प्रह्लाद ध्रुव जैसी ना मासूम भक्ति
नरसी ना सुरजन वो भाव में शक्ति
ना रसखान जैसा हमारा जनम
इतना तो दो कन्हैया …………….
पड़ा वक़्त गज पे तो नंगे पाँव आये
पुकारा जो द्रौपदी ने साड़ी बढ़ दिखाए
निर्बल हूँ मैं बाबा निर्बल हूँ मैं श्याम तुझसे है दम
इतना तो दो कन्हैया …………….
ना पारस ना सोना ना हूँ कोई हीरा
मैं गोपाली पागल ना संत कबीरा
बने दास सोनू तेरा हर जनम
इतना तो दो कन्हैया …………….