
जय माँ कालका सिद्ध भवानी
महा योगनी महा दायनी।।
तेरी किरपा से हे माता जीती प्रभु राम ने लंका
तीनो लोक चहू बहु भवन में बाजे तेरा डंका
मोहे चाकर बना कर रखलो कालका माता जी।।
साडी बनारस से हूँ लायी जयपुर से लेहंगा मंगवाई
सिंदूर भी बंगाल से आया चंडीगड चुडा है लाया
मैया जी के हाथो में चूड़ी लाल लाल है
टिका है लाल लाल चुनरी भी लाल है
लाल तेरी किरपा से मालामाल
मोहे चाकर बना कर रखलो कालका माता जी।।
बाल न बांका होए लाल का आये जो दरबार कालका
पूरण हर मनोकामना करदे सब की खाली झोलियाँ भर दी
बाबा बालक नाथ जी पे रिजी भवानी
किरपा हुई दिल्ली पे बनी राज धानी
माता कालका से हारे मुग़ल अभिमानी
मोहे चाकर बना कर रखलो कालका माता जी।।