काली का रूप निराला

काली का रूप निराला
जिसने चड मुंड को मारा
हाथ खडग है विशाला
काली का रूप निराला

दानव थर थर कॉपी मैया
जब क्रोध में आये
आँख में ज्वाला गले मुंड माला
बचके कोई न जाए
जिसने तुझको दिल से माना
ह्रदय में किया उजाला
काली का रूप निराला

संकट ने जब डाला घेरा
तूने कदम बढ़ाया
रक्त बीज का नाश किया
धरती से पाप मिटाया
तूने पाप मिटाया
तुहि चंडी तुहि दुर्गा
तुही माँ ज्वाला
काली का रूप निराला

रोक न पाया कोई तुमको तीन लोक में ऐसा
शिव भोला खेल रचाया कैसा
लक्ष्मण संवारा बीच सभा में जाप्ता तेरी माला
जिसने मारा चाँद मुंड को हाथ खडग है विशाला
काली का रूप निराला

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