
कर ना सके जो कोई भी करके दिखा दिया,
सेवक अपने स्वामी पे कर्जा चढ़ा दिया।।
सीता से राम बिछड़े है रोए बिलख बिलख कर,
मिल ना सके जो जीवन भर,
मिल ना सके जो जीवन भर पल में मिला दिया।
कर ना सकें जो कोई भी करके दिखा दिया,
सेवक अपने मालिक पे कर्जा चढ़ा दिया।।
लक्ष्मण का हाल देखिये दुनिया से जा रहे है,
दीपक जो बुझने जा रहा,
दीपक जो बुझने जा रहा फिर से जला दिया।
कर ना सकें जो कोई भी करके दिखा दिया,
सेवक अपने मालिक पे कर्जा चढ़ा दिया।।
रहते थे राम महलों में वनवासी हो गए थे,
‘बनवारी’ फिर अयोध्या का,
‘बनवारी’ फिर अयोध्या का राजा बना दिया।
कर ना सकें जो कोई भी करके दिखा दिया,
सेवक अपने मालिक पे कर्जा चढ़ा दिया।।
कर ना सकें जो कोई भी करके दिखा दिया,
सेवक अपने मालिक पे कर्जा चढ़ा दिया।।