किसी से क्या मैं मांगू किसे क्या बांटू

किसी से क्या मैं मांगू किसे क्या बांटू
आज मेरे घर में आये छोड़ के श्याम वो खाटू
किसी से क्या मैं मांगू ……………….

कोई दस बीस का दानी कोई आशीष का दानी
हमारा शीश झुका है आप हो शीश के दानी
कृपा हो चौरासी में प्रभु क्यों चक्कर काटूँ
किसी से क्या मैं मांगू ……………….

श्याम हैं सबके प्यारे तभी तो हैं मनहारे
अगर हम हारे हैं तो आप हारे के सहारे
सहारा छोड़ तुम्हारा और फिर किसको छाटूं
किसी से क्या मैं मांगू ……………….

मेरी तक़दीर बड़ी हैं श्याम से नज़र लड़ी है
रखो मेरी भी सर पे कृपा की मोरछड़ी है
भाव इस मन से निकले भावना कैसे बांटूं
किसी से क्या मैं मांगू ……………….

राग रामबीर ने छेड़ा लगेगा पार बेडा
भोग बस भाव का है भाव का मीठा पेड़ा
मिले जो प्रसाद की खिचड़ी खाऊँ फिर ऊँगली चाटूँ
किसी से क्या मैं मांगू ……………….

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