महाकाल मस्त मलंगा

ओ मेरे शंकर ओ मेरे जोगिया
भोले भंडारी बबम बबम
शिव त्रिशूल धरी बबम बबम
जिनके सर से निकलती है गंगा
वो है महाकाल मस्त मलंगा।।

जिनके ध्यान से होता है मन चंगा
जिनके ध्यान से होता है मन चंगा
वो है महाकाल है मस्त मलंगा
भोले भंडारी बबम बबम
शिव त्रिशूल धरी बबम बबम।।

हाथ कमंडल डमरू साजे
हाथ कमंडल डमरू साजे
करुणा जिनके डंका बाजे
बिन मर्जी के हिले न तिनका
तीनो लोक अधीन है उनका।।

मृग छाला का चोला है अंगा
मृग छाला का चोला है अंगा
वो है महाकाल मस्त मलंगा
भोले भंडारी बबम बबम
शिव त्रिशूल धरी बबम बबम।।

राजा रैंक या मुनि विद्वान
मिले शरण सब एक सामान
भक्तो का दुःख हारते है
रखते है सदा ये सबका ध्यान
रखते है सदा ये सबका ध्यान।।

शिव पारवती और गंगा
जय हो महाकाल मस्त मलंगा
जय हो महाकाल मस्त मलंगा।।

जिनके ध्यान से होता है मन चंगा
जिनके ध्यान से होता है मन चंगा
वो है महाकाल है मस्त मलंगा
भोले भंडारी बबम बबम
शिव त्रिशूल धरी बबम बबम।।

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