
मैं बन जाना फ़क़ीर
चल पाया झोला लेके प्यारा डा
प्यार ना मिल्या कही
पैसा देके लब्या खुशिया न पर
यार ना मिल्या कही।।
ज़िन्दगी ये दो पला दी
हँसते गाते कट लेनी
तेरी मेरी सेम कहानी
ना कोई राजा ना कोई रानी
रंग बिरंगी दुनिया
इससे माया का चढ़ा है फितूर
मैं आजाद परिंदा
नी मैं उड़ जाना बड़ी दूर
मैं बन गया फ़क़ीर
मैं जग तो और की लेना
मैं बन गया फ़क़ीर
मैं जग तो और की लेना ।।
जित्थे ले जाए तक़दीर
उत्थे मैं टूर जाना
बन जाना फ़क़ीर ।।
यहाँ कौन किसका हो पाया,
कुछ भी नहीं सच यहाँ,
सब फसे माया के जाल में,
कुछ को नशे ने दुबया,
अनोखा नजारा ये दुनिया का,
ना कोई अपना ना कोई बेगना,
जिसको भी समझा था,
अपना कभी मैंने,
उसने ही समझा बेगना,
ओह बड़ी कोठी नहीं चाहिदी,
इक झोपड़ी ही सही,
दिल दा है जे सुकून,
घर मिल जाए रे कहि,
मैं बन जाना फकीर,
मैं जग तो की लेना
दुनिया है मेला,
यहाँ खेल सभी ने खेला,
दुनिया है मेला,
यहाँ खेल सभी ने खेला,
ना मदद की ढेले की,
पर ज्ञान सबी ने पेला,
मैं बन जाना फकीर,
मैं जग तो की लेना,
नी मैं बन जाना फकीर,
मैं जग तो की लेना,
जित्थे ले जावे तकदीर,
उत्थे मैं तुर जाना,
बन जाना फकीर
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