
मैं श्याम के दर का सेवक हूँ
उनके गीत सुनाता हूँ
उनकी मर्जी से हँसता हूँ
उनकी मर्जी से गाता हूँ
उनकी मर्जी से भजन गाता हूँ
जब तक इनका मन चाहेगा
तब तक भजन सुनाऊंगा
जब इनका मन भर जायेगा
मैं भी चुप हो जाऊंगा
काया का पिंजरा तोड़ ताड़
पंछी बन उड़ जाऊंगा।।
मैं श्याम के दर का सेवक हूँ
उनके गीत सुनाता हूँ