मंदिर जहाँ था फिर वहीँ मंदिर बनाएँगे

मंदिर जहाँ था फिर वहीँ मंदिर बनाएँगे

Mandir Jahan Tha Fir Vahan Mandir Banayenge

है विश्वनाथ बाबा, सबसे बड़ा प्रतापी,
उसका ही बनारस है, उसका ही ज्ञानवापी ॥

है विश्वनाथ बाबा, सबसे बड़ा प्रतापी,
उसका ही बनारस है, उसका ही ज्ञानवापी ॥


हम उसका कर्ज साँस ये, देकर चुकाएंगे,
मंदिर जहाँ था फिर, वहीँ मंदिर बनाएँगे,
मंदिर जहाँ था फिर, वहीँ मंदिर बनाएँगे॥

हम भोले के भगत है, फक्क्ड़ मिजाज वाले,
मस्ती में है मगन हम, दुनिया से निराले,
हम काशी विश्वनाथ से, वादा निभाएंगे बाबा,
मंदिर जहाँ था फिर, वहीँ मंदिर बनाएँगे॥

आई भगवे की लहर है, मंदिर है सजने वाला,
कैलाशी आए काशी, डमरू है बजने वाला,
बस उसके सामने ही अपना, सर झुकाएंगे भोले,
मंदिर जहाँ था फिर, वहीँ मंदिर बनाएँगे
मंदिर जहाँ था फिर, वहीँ मंदिर बनाएँगे॥

है विश्वनाथ बाबा, सबसे बड़ा प्रतापी,
उसका ही बनारस है, उसका ही ज्ञानवापी,
हम उसका कर्ज साँस ये, देकर चुकाएंगे,
मंदिर जहाँ था फिर, वहीँ मंदिर बनाएँगे,
मंदिर जहाँ था फिर, वहीँ मंदिर बनाएँगे ॥

Singer – Hansraj Raghuwanshi ji

Mahashivratri Special 2024 – Shivratri Special Bhajan

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