माया तजि ना जाए अवधू माया तजी न जाए

माया तजि ना जाए अवधू
माया तजि ना जाए अवधू।।

माया तजि न जाय अवधू, माया तजी न जाए
गिरह तज के बस्तर बांधा, बस्तर तज के फेरी ।।

काम तजे तें क्रोध न जाई, क्रोध तजे तें लोभा
लोभ तजे अहँकार न जाई, मान-बड़ाई-सोभा ।।

मन बैरागी माया त्यागी, शब्द में सुरत समाई
कहैं कबीर सुनो भाई साधो, यह गम बिरले पाई ॥

माया तजि न जाय अवधू, माया तजी न जाय
गिरह तज के बस्तर बांधा, बस्तर तज के फेरी ।।

लूटि सकै तो लूटियो, राम नाम है लूटि।
पीछै ही पछिताहुगे, यहु तन जैहै छूटि॥

सिंगर – ज्ञानिता द्विवेदी जी।

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