मेरी उम्मीद का दीपक कभी बुझाने नहीं देना

मेरी उम्मीद का दीपक कभी बुझाने नहीं देना
श्याम जो तुमसे पाया है कभी लूटने नहीं देना
मेरी उम्मीद का दीपक कभी बुझाने नहीं देना।।

मैं सच की राहो पर चल कर जाउंगी अपनी मंजिल पर
दया क्या ये कम है श्याम प्यारे
जो चरणों में तेरे ठिकाना मिला है
बड़े भाग्य शाली है वो तेरे बन्दे
जिन्हे आपसे दिल लगाना मिला है।।

मुरारी रेहमत के सदके तुम्हारी
जो चरणों में ये सर झुकना मिला है
वो क्या बागे जन्नत की परवाह करेंगे
जिन्हे आपका आशियाना मिला है।।

मैं सच की राहो पर चल कर जाउंगी अपनी मंजिल पर
झूठ के आगे मेरा सर कभी झुकने नहीं देना
झूठ के आगे मेरा सर कभी झुकने नहीं देना।।

मेरी उम्मीद का दीपक कभी बुझाने नहीं देना
श्याम जो तुमसे पाया है कभी लूटने नहीं देना
मेरी उम्मीद का दीपक कभी बुझाने नहीं देना।।

मैं जब भी ठोकरे खाओ सहारा आपका पाऊं
आसरा इस जहां का मिले न मिले मुझको तेरा सहारा सदा चाहिए
चाँद तारे फलक पर दिखे न दिखे मुझे तेरा नजारा सदा चाहिए
मेरी धीमी है चाल और पथ है विशाल
हर कदम पर है मुसीबत अब तू संभाल
पैर मेरे थके है चले न चले मुझको तेरा इशारा सदा चाहिए।।

मैं जब भी ठोकरे खाओ सहारा आपका पाऊं
भक्ति की राह में मुझको कभी रुकने नहीं देना।।

मेरी उम्मीद का दीपक कभी बुझाने नहीं देना
श्याम जो तुमसे पाया है कभी लूटने नहीं देना
मेरी उम्मीद का दीपक कभी बुझाने नहीं देना।।

सिंगर – ब्रज सरवारी जी।

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