
मोरा हीरा हेराय गयो कचरे में
Mora Heera Heraye Gayo Kachre Me
कस्तूरी कुण्डल बसे मृग ढूढ़े बन माहि
ऐसो घट घट राम है
ऐसो घाट घाट राम है दुनिया देखो नाही
कचरे में हाँ कचरे में
मोरा हीरा हेराय गयो कचरे में ॥
मोरा हीरा हेराय गयो कचरे में
कचरे में हाँ कचरे में
मोरा हीरा हेराय गयो कचरे में ॥
कोई ढूँढै़ पूरब कोई ढूँढ़े पश्चिम,
कोई ढूँढ़े पान पथरे में॥
मोरा हीरा हेराय गयो कचरे में
मोरा हीरा हेराय गयो कचरे में ॥
मुल्ला खोजे कुरान की टेब में
पंडित खोजे पोथी पतरे में
मोरा हीरा हेराय गयो कचरे में ॥
दास कबीर एक हीरा पायो,
बाँधि लिए हिये अचरे में
मोरा हीरा हेराय गयो कचरे में
कचरे में हाँ कचरे में
मोरा हीरा हेराय गयो कचरे में ॥
Mora Hira Heraye Gayo Kachre Me
Sant Kabir – Nirgun Bhajan