ओ गौरा घोट दे भांग का प्याला

हरी हरी भांग डाल के गौरा
फिर दो रगड़ा लगाए
ऐसा रगड़ा लगे भंग में मन प्रसन्ना होई जाए

तर्ज : खाइके पान बनारस वाला

ओ गौरा घोट दे भांग का प्याला
तुझसे कहता डमरू वाला
ओ गौरा घोट दे भांग का प्याला।।

गौरा मत कर तू इनकार
भंग से ज्यादा करता प्यार
ओ गौरा घोट दे भांग का प्याला
ओ गौरा घोट दे भांग का प्याला।।

ओ मेरी गौरा प्यारी
घोटन से डर गयी हाय हाय हाय
सुन जान से प्यारी क्यों आज बिगड़ गयी हाय
मने तालाब लगी बड़ी थी
घोटन की भांग कही थी
घोटन की भांग कही थी
तूने तो तूने करदिया इंकार
ओ गौरा घोट दे भांग का प्याला
ओ गौरा घोट दे भांग का प्याला।।

ओ गौरा घोट दे भांग का प्याला
तुझसे कहता डमरू वाला
ओ गौरा घोट दे भांग का प्याला।।

सुनो औघड़ दानी भंगिया ना होती जाए
भूतो के स्वामी क्या भांग घटाने लाये
मैं तो सीधी साधी तेरी भांग ने करदी आधी
मुझसे तो ना करो तकरार
मुझसे तो ना करो तकरार।।

ओ गौरा घोट दे भांग का प्याला
तुझसे कहता डमरू वाला
ओ गौरा घोट दे भांग का प्याला।।

ओ मेरी गौरा रानी
कहा छोड़ के जा रही हाय हाय हाय
तूने एक ना मानी
मेरा क्रोध बढ़ा रही मेरा
जब क्रोध बढे मेरा भारी
तब डोले सृष्टि सारी
डर से कांपे संसार
डर से कांपे संसार।।

ओ गौरा घोट दे भांग का प्याला
तुझसे कहता डमरू वाला
ओ गौरा घोट दे भांग का प्याला।।

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