
जिसने तुझको चाहा उसके तूने दुःख टाले है
ओ साँवरे तेरे खेल निराले है।।
जनम लिया जब तूने मथुरा की जेल में
सुला दिए पहरे वाले निदिया के खेल में
बिन चाबी के खुल गए पल में जेल के टाले है
ओ साँवरे तेरे खेल निराले है।।
जिसने तुझको चाहा उसके तूने दुःख टाले है
ओ साँवरे तेरे खेल निराले है।।
यार सुदामा आया जब तेरे द्वारे
दो मुट्ठी चावल में ही दुःख सब निवारे।।
रो रो के आंसू के जल से पग धो वाले है
ओ साँवरे तेरे खेल निराले है।।
मीरा को राणा ने विष पीने को दिया था
उस विष को अमृत तूने पल में किया था
कहे अनाडी विश्वजीत अब तेरे हवाले है
ओ साँवरे तेरे खेल निराले है।।
जिसने तुझको चाहा उसके तूने दुःख टाले है
ओ साँवरे तेरे खेल निराले है।।