
पधारों शबरी के मेहमान शबरी के मेहमान पधारो,
बिना प्रेम दुर्योधन की ग्रह छोड़ चले पकवान,
रूखे साग विदुर घर खायो प्रेम सहित सुख मान,
पधारो शबरी के भगवान पधारों, शबरी के मेहमान,
पधारों शबरी के मेहमान शबरी के मेहमान पधारो।।
द्रुपद सुता की लाज बचाई मध्य सभा में आय,
खींचत चीरा दुशासन हारा चूर कियो अभिमान,
पधारो शबरी के भगवान पधारों, शबरी के मेहमान,
पधारों शबरी के मेहमान शबरी के मेहमान पधारो।।
जल डूबत गजराज उबारे तात शब्द सुन कान,
सारथि बन पारथ रथ हाक्यों समर भूमि मैदान,
पधारो शबरी के भगवान पधारों, शबरी के मेहमान,
पधारों शबरी के मेहमान शबरी के मेहमान पधारो।।
गणिका गिद्ध अजामिल पापी तारे अधम महान,
भिक्षु अति है शरण तुम्हारी मीरा के भगवान,
पधारो शबरी के भगवान पधारों, शबरी के मेहमान,
पधारों शबरी के मेहमान शबरी के मेहमान पधारो।।