
पग पग पोरो पाप रो कलयुग में क्युं तड़पावो
Pag Pag Poro Paap Ro Kaliyug Me Kyu Tadpavo
पग पग पोरो पाप रो कलयुग में क्युं तड़पावो
रात में कुरनावे साँवरा मोरिया
नींद बैरण नहीं आय श्री हरि सम धान बताओ जी
श्री हरि सम धान बताओ जी।।
सतयुग त्रेता द्वापर मायने
प्रत्यक्ष थे होता तैयार,
कलयुग में यूँ क्यों तडपावो जी,
कलयुग में यूँ क्यों तडपावों जी।।
क्रोध बढ़ गो है साँवरा मोकाडो ,
प्रेम सूं करें नहीं कोई बात,
सद्बुद्धि हरि सबने दिरावो जी,
सद्बुद्धि हरि सबने दिरावो जी।।
पग पग पोरो पाप रो कलयुग में क्युं तड़पावो
धर्मी तो बिलखे अपार भगतां री हरि सहाय करावो जी,
रात में कुरनावे साँवरा, मोरिया नींद बैरण नहीं आय,
श्री हरि सम धान बताओ जी।।
अपणे स्वारथ कारणे घणा करे कूड़ा काम,
मिनखा में संतोष धरावो जी,
भाई रो भाई बैरी हो रहियो,
राखे नहीं दूध वाली लाज़,
ओ लोभ सारी कलह आ करावे जी,
रात में कुरनावे साँवरा मोरिया,
नींद बैरण नहीं आय,
श्री हरि सम धान बताओ जी।।
जीव जंतु कट चौवटे लागे आरी मिटटी री हाट,
म्हारो मनड़ो घणो दुख पावे जी,
दया और धरम घणा छोडिया,
नेकी माथे चाले घणा नाय,
श्री हरि रहम आप करावो जी,
रात में कुरनावे साँवरा, मोरिया,
नींद बैरण नहीं आय,
श्री हरि सम धान बताओ जी।।
भजन लिखे हैं लखन चौधरी,
स्वामी सुनीता सुर में गाय,
गिरधारी बेगा आप पधारो जी,
अरज करा म्हे हरी आपमें,
लेवो थे पाछो अवतार,
धरती रो सारो भार उतारो जी,
रात में कुरनावे साँवरा मोरिया,
नींद बैरण नहीं आय,
श्री हरि सम धान बताओ जी।।
Pag Pag Poro Paap Ro Kaliyug Me Kyu Tadpavo
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