
आज ख़ुशी से झूमे ये मन अजब नशा है छाया
श्याम रंग में रंग दिया खुद को अजब नशा है छाया
फूलों से घर सजा लिया सरकार आ रहे हैं
हुई धन्य मेरी ये कुटिया सरकार आ रहे हैं
फूलों से घर सजा लिया……………
दरबार एक प्यारा प्यारा सा है सजाया
आँगन में एक झूला है प्रेम का या डाला
सब इंतेज़ाम कर दिया सरकार आ रहे हैं
फूलों से घर सजा लिया……………
पलकें बिछाए अँखियाँ बेचैन हो रही हैं
मस्ती में सांवरे की खुद को ये खो रही हैं
मुझसे निभाने यारियां सरकार आ रहे हैं
फूलों से घर सजा लिया……………
मेरी ज़िन्दगी के मालिक मिलने को आज हमसे
गूंजेगी गलियां कुंदन लीले की छम छम से
करने को मेहरबानियां सरकार आ रहे हैं
फूलों से घर सजा लिया……………