
प्रार्थना है यही मेरी हनुमान जी
मेरे सर पे भी अब हाथ धर दीजिये।।
तन निरोगी रहे धन भी भरपूर रहे
मन भजन में रहे द्वन्द दुःख दूर हो
कर्ज भी ना रहे मर्ज भी ना रहे
फर्ज निभता रहे ऐसा वर दीजिये।।
प्रार्थना है यही मेरी हनुमान जी
मेरे सर पे भी अब हाथ धर दीजिये
और श्री राम सीता का दर्शन करके
मेरे सपनो को साकार कर दीजिये
दुःख दे रहे मुझे मेरे ही पाप है
मेरे मन में है क्या जानते आप है।।
प्रार्थना है यही मेरी हनुमान जी
मेरे सर पे भी अब हाथ धर दीजिये।।
आप हर रूप है आप हर रूप है
इसलिए कर कृपा इसलिए कर कृपा
मेरी हर एक चिंता को हर लीजिये।।
प्रार्थना है यही मेरी हनुमान जी
मेरे सर पे भी अब हाथ धर दीजिये।।
मैं भावुक तो हूँ पर नहीं भक्त हूँ
इसी कारन तो विषयो में आसक्त हूँ
वासना मुक्त कर मेरे मन को प्रभु
राम सीता की भक्ति से भर दीजिये।।
प्रार्थना है यही मेरी हनुमान जी
मेरे सर पे भी अब हाथ धर दीजिये।।