
राम का दरबार, मन की शांति का द्वार,
ॐ शन्ति, मन की शान्ति, तन की शान्ति,क्रोध शान्ति,
जब सब शांति, तब राम करे उद्धार।।
जब मन शून्य में चला जाता हैं,
तब आत्मा और मन, परम् सुख पाता है,
आत्मा परमात्मा है, राम की अवतार।।
जब राममय हो तन मन धन,
मोह माया छोड़कर, सब कुछ हो अर्पण,
तब जाकर प्रभु राम, करते भक्ति स्वीकार।।
राम का दरबार, मन की शांति का द्वार,
ॐ शन्ति, मन की शान्ति, तन की शान्ति,क्रोध शान्ति,
जब सब शांति, तब राम करे उद्धार।।