
रे माई मैं फिरूँ वृंदावन धाम
रे माई, रे माई
रे माई जी मेरा चाहे
रे माई मैं फिरूँ वृंदावन धाम।।
फिरूँ वृंदावन धाम
जहां रहते हैं श्यामा श्याम
रे मेरी माई जी मेरा चाहे
माई फिरूँ वृंदावन धाम।।
छोटी सी कुटिया में रह के
दिन भर भजन करुंगी रे
हरि नाम का जाप करुंगी
गैलिन गैलिन डोलुंगी रे
सादा जीवन जीने मे
सादा जीवन जीने मे
हो जाओ बुरे हालो
उलटे पांव भागोगी शहर को
गले गी न जब दाल
रे माई, रे माई,
रे माई मेरी राधा रानी
की शरण में न हो बुरा हाल
कैसे कैसे पे कर-किरपा
मेरा भी राखे ख्याली
हो रखीगी ख्याल सबकी प्यारी लाडली लाली
रे माई, रे माई
रे माई जी मेरा चाहे
रे माई मैं फिरूँ वृंदावन धाम।।
रोज परकम्मा दूंगी
रोज बिहारी जी के जाऊंगी
जब भी मिलेगो मौको
मैं बरसाने भी होंगी
तू ठहरी चुईमुई शहर की
तू ठहरी चुईमुई शहर की
इत्तो न चल पावेगी
जे बंदर ले गया पर्स झपटके
कैसे फिर तू छड़ावेगी।।
रे माई, रे माई
रे माई माई ये सब से लुंगी
मुझसे शहर ना आवे रास
बड़भागी ब्रज के बन्दे
मुझे भी दीजो यहां निवास।।
दीजो ब्रज में वास, यही चाहूं मैं आठों याम
रे माई दिल मेरा चाहे
रे माई, रे माई
रे माई जी मेरा चाहे
रे माई मैं फिरूँ वृंदावन धाम।।
खाना पीना दुर्लभ होगा
देखेंगे जो होना होगा
इत्ती गरमी झेल ना पायेगी
राधा रानी मुझे बचायेगी।।
तुझे खुद की ना कोई है फ़िकारो
ठाकुर जी है तो काहे का डर
मेरा न धंधा यहां न कोई काम
फ़िकर ना करो हैं राधे श्याम।।
तो यहाँ क्या गइयाँ चरौं
हां, और साथ में खेती भी करना,
खाने पीने की भी टेंशन खतम।।
हे नंदरानी!
जय हो मेरी राधा रानी
हरे कृष्णा हरे कृष्णा।।